पत्थर के सनम............. पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना बड़ी भूल हुई अरे हमने ये क्या समझा ये क्या जाना पत्थर के सनम .................. चेहरा तेरा दिल में लिए चलते रहे अंगारों पे, तू हो कहीं, तू हो कहीं सजदे किए हमने तेरे रुखसारों पे, हम सा ना हो कोई दीवाना....... पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना पत्थर के सनम .................. सोचा था ये बढ जाएगी तनहाइयाँ जब रातों की, रस्ता हमें,रस्ता हमें दिखलाएगी शम-ए-वफ़ा उन हाथों की ठोकर लगी........ तब पहचाना........ पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना पत्थर के सनम .................. ऐ काश की होती खबर तूने किसे ठुकराया है शीशा नहीं,सागर नही मंदिर सा एक दिल द्वारा है का आसमां........... है विराना......... पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना बड़ी भूल हुई अरे हमने ये क्या समझा ये क्या जाना पत्थर के सनम ........