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Nirbhay Raj Mishra

आए वो पल आपके


करीब मेरे मगर खुद के आस पास हो तुम
लहकती बुझती हुई आग की उजास हो तुम |

चहकते गाते परिंदे की ख़ामोशी हो तुम
खिली सुबह की तरह – शाम की उदासी हो तुम |

हजार चुप से घिरी हलचलों के  घेरे में
रुकी रुकी सी हिचकती सी कोई सांस हो तुम |

कभी निगाह की हद में कभी हद से बाहर हो
कभी यकीन में ढलती कभी कयाश हो तुम |

बने नही की टूट जाये एक बुत जैसे
इतनी आम इतनी आम इतनी खास हो तुम |

तेरी नींद की जरूरत मेरे ख्वाब का बहाना
मेरा धीमे धीमे चलना तेरा हौले हौले आना |

मासूम हसरतों क आये में पल रहा है
तेरा लहर-सा मचलना मेरा तट-सा थरथराना |

ये तुम्हारी मुस्कराहट अभी दिल में घुल रही है
जरा देर यूं  ही रहना जरा थम के मुस्कराना |

ये किसी की आरजू है,
जो भटक रही है गुमसुम
अभी बेखुदी में है, वो आवाज़ मत लगाना |

कहीं धूप के उजाले कहीं शाम की स्याही
कभी सुर्ख शोख सुबहें कभी शाम कातिलाना |

आबाद होगी इनसे तनहाइयों की दुनिया
ये गजल है, मुकम्मिल इसे त्तुम भी गुनगुनाना |

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Pathar ke sanam full song lyrics

                     पत्थर के सनम............. पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना बड़ी भूल हुई अरे हमने ये क्या समझा ये क्या जाना पत्थर के सनम .................. चेहरा तेरा दिल में लिए चलते रहे अंगारों पे, तू हो कहीं, तू हो कहीं सजदे किए हमने तेरे रुखसारों पे, हम सा ना हो कोई दीवाना....... पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना पत्थर के सनम .................. सोचा था ये बढ जाएगी तनहाइयाँ जब रातों की, रस्ता हमें,रस्ता हमें दिखलाएगी शम-ए-वफ़ा उन हाथों की ठोकर लगी........ तब पहचाना........ पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना पत्थर के सनम .................. ऐ काश की होती खबर तूने किसे ठुकराया है शीशा नहीं,सागर नही मंदिर सा एक दिल द्वारा है का आसमां........... है विराना......... पत्थर के सनम तुझे हमने मोहब्बत का खुदा जाना बड़ी भूल हुई अरे हमने ये क्या समझा ये क्या जाना पत्थर के सनम ........

Nirbhay Raj Mishra

मुक्तक

तुझमें मैं, मुझमें तू खोना चाहे | जिंदगी यूं सरल होना चाहे | तू रहे संग में, उम्र भर बस यूं ही, मैं तेरी शायरी, तू गज़ल होना चाहे |                                                         -निर्भय राज मिश्रा